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प्यारा साथी -04-Jun-2024

प्रतियोगिता हेतु 
दिनांक: 04/05/2024
प्यारा साथी 

था कभी कोई साथी 
जो जान से भी प्यारा था
दिल का सुकून था 
हमारा एक सहारा था।
ना जाने ऐसा क्या हुआ 
अचानक चला गया
हमें छोड़कर,
कहीं दूर वो चला गया;
अकेला तन्हा छोड़कर।।
ढूंढती हैं निगाहें आज भी
उस प्यारे साथी को
जो दिल की गहराइयों में बसा है
पर नज़रों से ओझल हो चला।
था कभी कोई साथी,
जो जान से भी प्यारा था।।

ऐ वक्त! तुझे पलटते 
देर नहीं लगती
सब कहते हैं तू सब बदल देता है
साथी मेरा जो खो गया 
दुनिया की भीड़ में। 
उसे ले आ वापिस और 
मेरा दिल मुझे लौटा दे।
था कभी कोई साथी
जो जान से भी प्यारा था।।

शाहाना परवीन 'शान'...✍️ 
मुजफ्फरनगर उत्तर प्रदेश 







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2 Comments

VIJAY POKHARNA "यस"

04-Jun-2024 10:34 AM

बहुत गहरे शब्दों से उकेरी रचना दिल को छू लेने वाली हैं।🙏🙏

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RISHITA

04-Jun-2024 09:24 AM

Very sad poetry

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